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DR.SK LATH
MBBS,MD CHEST
Chest Care Centre is providing only out patient OPD services par exellence.Patient education & counseling is done by expert and qualified staff.Breath Easy Sleep desorders, Asthma, Allergy & Pulmonary Rehabilitaion & dietics clinics are a regular feature. Patients not just find quality but they feel different aesthetics and the ambience of the center. Indoor services,emergencies & critical care.


उपलब्ध सुविधाए
PFT TEST
कंप्यूटर द्धारा फेफड़ो के जांच पुल्मोनरी फ़ंक्शन टेस्ट एक ऐसी जांच है जिससे पता चलता है की खाँसी या साँस के बीमारी किस वजह से है|(जैसे सी ओ पी डी) व फेफड़ो में साँस लेने की कितनी ताकत बची है| जिस तरह ECG से दिल की जांच होती है उसी तरह PFT(स्पाइरोमेटरी)एक प्रकार से फेफड़ो की ECG है| PFT द्धारा साँस की तकलीफ की गम्भीरता पता करने से इलाज करना आसान होता है| जो मरीज पहले से (डॉ. के सलाह अनुसार) इन्हेलर या रोटाहेलर ले रहे है इनमे इस जाँच से पता चलता है की कितना सुधार हो रहा है| स्पाइरोमीटर जाँच से साँस की बीमारी (मुख्यतः COPD) को प्रारम्भिक दशा में जाना जा सकता है जिससे उसका प्रभावशाली इलाज हो सकता है| धूम्रपान करने वाले / साँस की तकलीफवाले सभी 40 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को वर्ष में एक बार स्पाइरोमीटरजाँच करवानी चाहिए | इसलिए हर साँस व खाँसी के मरीज को PFT(स्पाइरोमीटर) करवाना चाहिए जिससे की बीमारी की वजह,इलाज व सुधार के बारे में पूरी जानकारी मिल सके|
POLY SOMNOGRAPY
सोते समय खर्राटे लेना,दिन में टीवी देखते समय,गाड़ी चलाते समय,अख़बार पढ़ते समय या बात करते करते सो जाना,सोते समय अचानक साँस फूलने के एहसास से नींद का टूट जाना,सुबह उठने पर सिर में दर्द रहना, ताजगी महसूस न करना,चिड़चिड़ापन,थकान,सेक्स से विरक्ति,दवाओं के बावजूद अनियन्त्रित ब्लड प्रेशर खतरे के लक्षण है यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के लक्षण हो सकते है जिसमे व्यक्ति के उच्च रक्त चाप (Hypertension) डायबिटीज़ (Diabetes) दिमाग में रक्त श्राव(C.V.A) इत्यादि के होने के सम्भावना बढ़ जाती है इस बीमारी की जांच पोलीसोम्नोग्रापी कहलाती है |
BRONCHOSCOPY
मरीज को बिना बेहोश किये फेफड़ो की नलियो की दूरबीन विधि से जांच ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग निदान व चिकित्सा के लिए किया जाता है | खासी में खून आने व फेफड़ो के गाँठ इत्यादि की जांच तथा इन स्थानो पर बाहरी वस्तुओं (सिक्के बीजो,दाँत इत्यादि)को निकालने में भी इसका उपयोग करते है|
ICD PLACEMENT (आई.सी.डी प्लेसमेन्ट)
फेफड़ो की झिल्ली मे खून,पानी,मवाद या हवा आ जाने की स्थिति में सुई द्धारा इसे निकाला जा सकता है| कुछ परिस्थितियों मे ट्यूब (ICD) डालने की आवश्यकता भी पड सकती हैं यह आपरेशन मरीज को सुन्न करके किया जाता है मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होती है |
CT GUIDED FNAC & BIOPSY
फेफड़ो की गाठओ जैसे ट्यूमर, कैंसर इत्यादि की जाँच सीटी स्कैन मशीन मे ही सुई के द्धारा FNAC विधि से की जा सकती है तथा Biopsy की जाँच भी की जा सकती है| फेफड़ो की जो हाठे फेफड़े की सतह के पास होती है, इस विधि द्धारा जाँच सम्भव है इस जाँच से फेफड़ो की गाठों मे कैंसर,टी.बी.या अन्य कारण का पता लगाया जा सकता है |
THORACOSCOPY
इस विधि से फेफड़े की झिल्ली के भीतर की दूरबीन विधि(THORACOSCOPY) से निदान व चिक्तिसा सम्भव हैं | इस विधि से फेफड़ो की झिल्ली की गाठों की जाँच तथा आई.सी.डी के उपरान्त फेफड़ो के न फैलने पैर निदान सम्भव है|
उपलब्ध आधुनिक जांचे
1.विडियो ब्रोंकोस्कोपी (Video Bronchoscopy)
यह दूरबीन द्धारा फेफड़े की जांच का तरीका है जिसके द्धारा सांस की नलियों मे गांठ,अल्सर,खून आने तथा बार-बार खांसी आने के कारणो की जाँच की जाती है इस से नली मे दुर्घटना वश गई चीजों जैसे मटर का दाना,मूंगफली,सीटी इत्यादि भी निकाली जा सकती है इस जांच मे होने वाले लाभ की अपेक्षा खतरे नगण्या हैं| अधिक रक्तस्त्राव,श्वास अवरोध,दिल के धड़कन की विकृति तथा मृत्यु दर १००० मे १ से भी कम है |
2.पी.एफ.टी (Pulmonary Function Test)
यह कंप्यूटराइज्ड मशीन द्धारा फेफड़े की कार्यक्षमता जानने का अनूठा तरीका है इसके द्धारा दमा,धुम्रपान जनित सी.ओ.पी.डी. तथा फेफड़े के सिकुड़न की जांच की जाती है इससे बीमारी की गंभीरता का सही आंकलन होता है और इसी आधार पर सही मात्रा मे दवाई दी जाती है, साथ ही इलाज के दौरान हो रहे सुधार का भी पता चलता है |
3. स्लीप स्टडी (Polysomnography)
जिन व्यक्तियों मे रात में जोर से खर्राटे लेने की आदत है तथा दिन के समय बार-बार नींद आना,गाड़ी चलाते समय या टी.बी. देखते समय जल्दी नींद आना,नींद के दौरान सांस की गति कम ज़्यादा होना,बीच-बीच मे सांस का रुकना,चिड़चिड़ापन , ब्लड प्रेशर बढ़ना,एकाग्रता मे कमी,सुबह उठने मे सिरदर्द वा सेक्सुअल डिसऑर्डर होना इत्यादि हैं उनमे यह लक्षण आब्ट्रेक्टिव स्कीप एप्निया के हो सकते हैं जैसे उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग , ह्रदयघात, पक्षघात, अवसाद, नपुंगसकता व बौद्धिक विकास इत्यादि | ये लक्षण पाये जाने पर तुरन्त अपने डाक्टर से सलाह करे |
4.एलर्जी परीक्षण एवं उपचार
5. थोरैकोस्कोपी (Thoraccoscopy)
अस्थमा -क्या करें और क्या न करें
ऐसा करें :
- धूल से बचें धूल और धूल-कण अस्थमा से प्रभावित लोगों के लिए एक आम ट्रिगर है |
- पालतू जानवरों को हर हफ्ते नहलाएं | इससे आपके घर में गन्दगी पर कन्ट्रोल रहेगा |
- अस्थमा से प्रभावित बच्चों को उनकी उम्रवाले बचे के साथ सामान्य गतिविधियों में भाग लेने दें |
- बेड शीट्स और मनपसन्द स्टफड खिलौनों को हर हफ्ते धोए, वह भी अच्छी क्वालिटी वाले एसर्जन को घटाने वाले डिटर्जेन्ट के साथ |
- एलर्जी की जाँच कराएं | इसकी मदद से आप अपने अस्थमा टिगर्स के मूल कारण की पहचान कर सकते है|
ऐसा न करें:
- यदि आपके घर में पालतू जानवर है तो उसे अपने बिस्तर पर या बेडरूम में न आने दें |
- घर में या अस्थमा से प्रभावित लोगों के आसपास धूम्रपान न करें|संभव हो तो धूम्रपान ही करना बंद कर दें | क्योंकि अस्थमा से प्रभावित कुछ लोगों को कपड़ों पर धुएं की महक से ही अचैक आ सकती है |
- मोल्ड की संभावना वाली जगहों जैसे गार्डन या पत्तियों के ढेर में काम न करें और न ही खेलें |
- दोपहर के बक्त जब परागकणों की संख्या बढ़ जाती है, बाहर न काम करें और न ही खेलें |
- अस्थमा से प्रभावित व्यक्ति से किसी तरह का अलग व्यवहार न करें |
- फास्ट फूड या जंक फूड जैसे- नूडल्स, चाउमिन, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम व पिज्जा आदि का सेवन न करें |